With Om Puri’s death, we have lost one of the best acting talents this country has ever produced. His body of work is impossible to match – from parallel cinema to mainstream bollywood, from indies to world cinema and Hollywood. Any terrific artist like him always leaves behind a huge legacy. But it’s always our small stories about how we felt connected with them at some point in life makes them more memorable. That connect is individual and sacred. Lyricist Swanand Kirkire shared this memory on his FB.

जब मैं ११ में पढता था, अर्धसत्य देखी थी रीगल सिनेमा में।
सिनेमा में ५ दिन लगातार, १२ से ३।
अनंत वेलनकर दिमाग पर ऐसा छाया था की कुछ दिनों बाद जब फाइनल एक्जाम हुए और अंग्रेजी के पेपर में यूवर हीरो विषय पर निबंध लिखने को आया तो मैंने दे धना धन अपने हीरो ओम पुरी पर ४ पन्ने लिख मारे।
बाहर आकर दोस्तों को बताया वो हंसने लगे ।
किसी ने जवाहर लाल नेहरू पर लिखा था और किसी ने सुभाष चंद्र बोस ।
मेरी सिट्टी पिट्टी गुम ।
वो तो भला हो पेपर जांचने वाले का की उसने मुझे ठीक ठाक नंबर दे कर पास कर दिया।
बहोत सालों बाद मुम्बई के शुरुवाती दिनों में मैं जानी-मानी अभिनेत्री सारिका जी के साथ एक किताब पर काम कर रहा था।
पता चला पुरी साहब उनके अच्छे दोस्त थे।
बातों ही बातों में ये किस्सा उन्हें सुना दिया ।
२९ अप्रैल १९९९ मेरे जन्म दिन पर अचानक सारिका जी ने मुझे घर पर खाने का निमंत्रण दिया ।
मैं गया तो उन्होंने कुछ लोगों को बुला रखा था ।
उनमे एक ओम पुरी साहब भी थे ख़ास मेरे लिए !!!!!
सारिका जी ने मेरे निबंध का किस्सा उन्हें सुनाया, खूब हंसे थे पुरी साहब !
सपने देखने और पूरे होने दोनों की शुरुवात ओम पुरी साहब से हुई ।
सारिका जी का जितना शुक्रिया कहूँ कम है ।
पुरी साहब आप का जाना वजूद से किसे हिस्से के चले जाने जैसा है ।
काश कोई मुझे वो पुरानी एग्जाम की कॉपी ला कर देता ताकि मैं आपको फिर से बता सकता की आप मेरे लिए क्या थे ।
अलविदा ।
– स्वानंद किरकिरे
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