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Like us, if you have been playing the song Moh Moh Ke Dhaage from Dum Laga Ke Haisha in non-stop loop, and love to sing along, here’s something you will like – the full lyrics of the song which includes 2 unused antaras. The music is by Anu Malik and lyrics are by apna Varun Grover.

Moh Moh Ke Dhaage  
VOCALS : PAPON (Male version) and MONALI THAKUR (Female version)
SONG ARRANGED AND PRODUCED : HITESH MODAK
GUITAR : ADITYA BENIA
FLUTE : NAVEEN KUMAR
SHEHNAI : OMKAR DHUMAL

And here’s Varun Grover’s note about the song – why and how –

शरत कटारिया की लिखी स्क्रिप्ट ही इतनी दमदार थी कि शुरू में ही समझ आ गया था गाने लिखने में बहुत मज़ा आएगा। सबसे ज़्यादा मज़ा वैसे सामूहिक विवाह वाली सिचुएशन पे ‘सुन्दर सुशील’ लिखने में आया जिसमें बचपन से पढ़े हुए ढेर सारे मेट्रिमोनियल इश्तेहारों का ज्ञान काम आया, लेकिन म्युज़िकली देखें तो सबसे भारी सिचुएशन यही वाली थी। प्रेम रूठा हुआ सा है, बिना खाना खाए अपने ससुराल से निकला है नयी दुल्हन को लेकर, और दोनों के बीच तनातनी सी है। ऐसे में, रात को स्कूटर पर जाते-जाते दोनों को पहली बार साथ एक सफर पे जाने का मौका मिल रहा है।  शरत चाहता था यहाँ एक क्लासिकल गीत आये। अनु मालिक साब ने बहुत सी धुनें सुनायीं और हम सबको करीबन सब अच्छी लग रहीं थीं लेकिन एकदम (अनु जी के लफ़्ज़ों में) ‘ठाँ कर के लग जाए’ जैसी नहीं मिल रही थी। फिर एक दिन अनु जी ने ये वाली सुनाई जिसे सुनते ही सब कूद पड़े। गज़ब कम्पोज़ीशन, जो अन्तरे में जा के और निखर जाता है।

गाने में सफर, रात, प्यार और गुस्सा, सब है इसलिए लिखते वक्त ध्यान दिया कि ऐसी उपमाएं हों जो थोड़ी डिस्फ़ंक्शनल हों। उलझे, गिरह, तेरी झूठी बातें वगैरह। और क्यूंकि सफर का फील देना था इसलिए शब्दों को रिपीट किया – मोह-मोह, रोम-रोम, टोह-टोह। रिपीटीशन से एक स्विंग सा आता है गीत में, जैसे स्कूटर के पीछे बैठने से आता है।

मुखड़ा

ये मोह मोह के धागे,
तेरी उँगलियों से जा उलझे,
कोई टोहटोह ना लागे
किस तरह गिरहा ये सुलझे।

है रोम रोम इक तारा,
है रोम रोम इक तारा,
जो बादलों में से गुज़रे।

अन्तरा १

तू होगा ज़रा पागल
तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा,
तूने अनकहा, सब सुना।

तू दिन सा है, मैं रात,
आ ना दोनों,
मिल जाएँ शामों की तरह।

अन्तरा २

के ऐसा बेपरवाह मन पहले तो ना था
चिट्ठियों को जैसे मिल गया,
जैसे इक नया सा पता
के ऐसा बेपरवाह मन पहले तो ना था।

खाली राहें, हम आँख मूंदे जाएँ,
पहुंचें कहीं तो बेवजह।

(मोनाली ठाकुर वाले वर्ज़न में अलग अन्तरा)

अन्तरा ३

के तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लूँ,
आँखों से तेरे सच सभी,
सब कुछ अभी जान लूँ।
के तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लूँ।

तेज़ है धारा,
बहते से हम आवारा,
आ थम के सांसें लें यहां।

And two unused antaras for Moh Moh Ke Dhaage:

आ ऐसे भर जाएँ रहे खाली ना जगह

घोल दें इक सांस में आ सारा फासला
कि ऐसे भर जाएँ रहे खाली ना जगह
झील किनारे
आजा ना खेल बिछा लें,
और जोड़ें साड़ी कौड़ियाँ।

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कि जैसे पानी का इक मीठा सा कुआँ
हाथ जो तू थाम ले, तो छंट चलेगा धुआँ
कि मिला पानी का इक मीठा सा कुआँ।
झूठ कहानी
तेरी है सारी मानी
तू भी इशारा सुन ज़रा।

If you can’t read Hindi, click here to go to Varun’s site to read it in Roman. Also, it has the lyrics of rest of the songs.